हिमालय में युवाओं के वीडियो साक्षात्कार प्रस्तुत करते हुए दिखाया गया है कि आजीविका और प्रकृति संरक्षण को कैसे जोड़ा जा सकता है।
सरमोली गाँव (मुनस्यारी) में 'हिमल कलासूत्र' कार्यक्रम के अवसर पर, अशीष कोठारी द्वारा साक्षात्कार।
त्रिलोक सिंह राणा: पत्थर तोड़ने वाले से प्रकृति गाइड
त्रिलोक सिंह राणा, शंखधुरा गांव (मुनस्यारी क्षेत्र, उत्तराखंड) का किसान और पक्षी विशेषज्ञ, हिमाल प्रकृति के सदस्य, ने बताया कि कैसे वह पत्थर तोड़ने वाले एक कार्यकर्ता से ट्रेकिंग और प्रकृति मार्गदर्शक, और पक्षी विशेषज्ञ बने। वह अब एक कहानीकारक भी हैं, जिन्होंने 'लिखाई' (लकड़ी की नक्काशी) के लुप्त होते स्थानीय शिल्प पर लिखा है।
दीपक पछाई: प्रकृति मार्गदर्शक
दीपक पछाई, सरमोली गांव, मुनस्यारी (उत्तराखंड) के वासी, प्रकृति गाइड, हिमल प्रकृति के सदस्य व कल्पवृक्ष के फेलो, बताते हुए कि वह क्यों और कैसे प्रकृतिवादी और गाइड बन गए, और कैसे हिमालय में युवाओं को सार्थक आजीविका खोजने के लिए पलायन नहीं करना ज़रूरी है।
आशीष पांगटी: होमस्टे चालक
आशीष पांगटी, होमस्टे मालिक, प्रकृति-प्रेमी, वॉयस ऑफ स्ट्रेज़ (कुत्तों के लिए) के सदस्य, इस पर कि वह मुनस्यारी (उत्तराखंड), बाहर की नौकरी छोड़कर अपनी जमीन पर वापस क्यों आए, अब वह क्यों यहीं रहेंगे, और कैसे पहाड़ युवाओं के लिए आजीविका के अवसर प्रदान कर सकते हैं।
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